26 - जीवन का उपयोग

 जीवन एक अनमोल उपहार है, जो हमें असंख्य संभावनाओं के साथ मिला है। लेकिन क्या हम वास्तव में इस जीवन का पूरा उपयोग कर रहे हैं? क्या हम अपने जीवन की हर क्षण को सार्थक बना रहे हैं? इस बारे में सोचते हुए, मुझे एक पुरानी लेकिन अत्यंत प्रेरणादायक कहानी याद आती है।


एक छोटे से गाँव में दो भाई रहते थे, राम और श्याम। दोनों एक ही परिवार में पले-बढ़े थे, लेकिन उनके सोचने और जीवन जीने के तरीके में ज़मीन-आसमान का फर्क था। 


राम, जो बड़ा भाई था, हमेशा जीवन को एक अवसर के रूप में देखता था। वह हर सुबह सूरज उगने के साथ अपने दिन की शुरुआत करता, अपने काम में लग जाता, और पूरे दिल से मेहनत करता। उसकी मान्यता थी कि जीवन का हर पल अनमोल है, और इसे बेकार नहीं गंवाना चाहिए। 


दूसरी ओर, श्याम, जो छोटा भाई था, हमेशा आलसी और लापरवाह था। वह दिनभर सोता रहता, और जब भी राम उसे कुछ करने के लिए कहता, वह टालमटोल करता और कहता, "कल कर लेंगे, अभी तो समय है।" श्याम का जीवन आराम और आलस्य में बीत रहा था।


समय बीतता गया। राम की मेहनत और संजीदगी के कारण उसका जीवन सफल होने लगा। उसने गाँव में अपनी मेहनत और ईमानदारी से एक अच्छी प्रतिष्ठा बना ली थी। वह लोगों की मदद करता, और गाँव के सभी लोग उसे सम्मान की नज़र से देखते थे। 


दूसरी ओर, श्याम के पास कोई दिशा नहीं थी। उसका समय धीरे-धीरे हाथ से फिसलता जा रहा था, और वह कुछ भी सार्थक नहीं कर पा रहा था। एक दिन, जब श्याम ने देखा कि राम ने अपने जीवन को सार्थक बना लिया है, तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसने अपना कीमती समय बर्बाद कर दिया था, और अब उसे अपनी पिछली गलतियों का पछतावा था।


श्याम राम के पास गया और अपनी गलती के लिए माफी मांगी। उसने कहा, "भैया, मैंने अपना जीवन बर्बाद कर दिया। मैंने आपकी बातों को नज़रअंदाज़ किया और अब मुझे इसका अंजाम भुगतना पड़ रहा है।"


राम ने श्याम को गले लगाते हुए कहा, "भाई, जीवन कभी खत्म नहीं होता। जब तक सांसें हैं, तब तक उम्मीद है। अगर तुम सच में अपने जीवन को सुधारना चाहते हो, तो आज से ही शुरुआत करो। यह सही समय है कि तुम अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करो और इसका पूरा उपयोग करो।"


श्याम ने राम की बात मान ली और उसने अपने जीवन को एक नई दिशा दी। उसने आलस्य और लापरवाही को छोड़कर मेहनत और समर्पण का मार्ग अपनाया। धीरे-धीरे उसने भी अपनी पहचान बनाई और गाँव के लोगों के दिलों में जगह बना ली।


निष्कर्ष

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन का उपयोग कैसे करना चाहिए। हमारे पास जितना भी समय है, उसे सही दिशा में लगाना ही हमारे जीवन की सार्थकता को दर्शाता है। आलस्य, टालमटोल, और लापरवाही से कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। 

जीवन का हर क्षण अनमोल है, और इसे सार्थक बनाने के लिए हमें अपने प्रयासों को सही दिशा में लगाना चाहिए। आज से ही, अपने जीवन का पूरा उपयोग करने का प्रण लें और अपने हर सपने को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाएँ। यही जीवन की सच्ची सफलता है।


कन्हैया जी काशी 



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