28 - लांछन का दंश

सीमा एक साधारण लड़की थी उसके पिता , एक शिक्षक थे , और माँ गृहिणी । सीमा बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी , हमेशा अपने माता - पिता का नाम रोशन करने की चाहत रखती  थी । उसकी मासूमियत और उसकी मेहनत ने उसे हर व्यक्ति का प्रिय बना दिया था । जब सीमा ने   इंटरमीडिएट की परीक्षा टॉप की तो घर में खुशी की लहर दौड़ गई । सीमा को एक कॉलेज में दाखिला मिल गया , उसके सपने ऊंचे थे और उन्हें पूरा करने के लिए वह दिन रात मेहनत करती थी , लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था । 


कॉलेज के दूसरे साल में एक घटना घटी सीमा की उन्नति से जलने वाले एक कॉलेज के ग्रुप ने सीमा के खिलाप एक अफवाह उड़ादी की सीमा का चरित्र ठीक नहीं है और वह गलत संगत में है । जबकि सीमा जिसकी संगति में थी उसको अपना भाई मानती थी ,वह लड़का पढ़ने में तेज था और सीमा को अपनी बहन मानता था , मगर ये झूठे लांछन से सीमा और उसके परिवार को बहुत बड़ा धक्का लगा । 


जो लोग सीमा की तारीफ करते थे अब वह लोग भी सीमा को बुरा कहने लगे और उसकी बुराई करने लगे । सीमा को समझ नहीं आ रहा था ये सब कैसे हुआ । उसके चरित्र पर उठाए गए सवालों ने उसकी आत्मा को झकजोर के राख दिया । वो हर जगह अपमानित महसूस करने लगी । लोग उसे शक की नजर से देखने लगे , उसके माता - पिता को भी समाज के ताने सुनने पड़े । 


सीमा ने खुद को घर में कैद कर लिया । उसकी हिम्मत टूटने लगी और उसके सपने बिखरते नजर आए । एक दिन  सीमा की माँ सीमा के पास आई और माँ ने समझाया बेटा , सत्य कभी छुपता नहीं है जीत हमेशा सत्य की ही होती है , तुम धैर्य रखो और स्थिर चित्त से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो । माँ बोली बेटा जो लोग आज बिना कुछ सत्य जाने बस तुम्हारे खिलाप बोल रहे हैं । एक दिन वह लोग तुम्हारे सत्य के आगे झुकेंगे । 


तुम्हें अपने सपनों को पूरा करना है , और इन लांछनों को झूठा साबित करना है । सीमा ने माँ की बातों से हिम्मत पाई , उसने बापिस कॉलेज जाकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और कुछ ही महीनों में उसने एक बड़ा स्कॉलरशिप जीत लिया । जिसको कॉलेज में वह अपना भाई मानती थी उसने आकर सीमा को बधाई दी , सीमा ने सबके सामने अपने मुह बोले भाई  को कॉलेज में ही राखी बांधी । सत्य सामने आ गया , अब सीमा की मेहनत की भी बहुत तारीफ होने लगी । 


उसकी मेहनत और सफलता ने सीमा पर लगे सभी लांछनों को मिटा दिया । आज सीमा सफल डॉक्टर है , और वहाँ के लोगों का इलाज करती है , जिन लोगों ने सीमा पर गलत विचार रखें थे वह भी आज तारीफ करते नहीं थकते । सीमा ने साबित कर दिया की एक नारी की अस्मिता उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है । और झूठे लांछनों से कभी नहीं झुकाया जा सकता । 


निष्कर्ष -

यह कहानी हमें सिखाती है , मन में आत्म विश्वास हो और घर वालों का साथ हो तो । दुनिया किसी को गिराने के लिए कितना ही बदनाम करें पर जीत सत्य की होगी , नारी के सम्मान और अस्मिता पर बात आई तो , नारी हूँ लड़ सकती हूँ कमजोर मत समझना यह बात बिल्कुल सत्य होती है इस कहानी से । अगर सच्चाई का साथ हो तो कोई भी नारी के आत्म विश्वास को तोड़ नहीं सकता ,     


कन्हैया जी काशी 



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