छोटे से घर में रहने वाला अजय ,एक साधारण परिवार का बेटा था । उसकी आँखों में बड़े सपने थे ,लेकिन उसके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा था । गरीबी ,शिक्षा की कमी और समाज का तिरस्कार - ये सब उसकी राह में रोड़े थे परंतु अजय के भीतर कुछ अलग था - एक जिद ,कुछ कर दिखाने की ।
अजय का जीवन कठनाइयों से भरा था । स्कूल की फीस भरने के लिए अजय के पिता ने अपना घर गिरवी रख दिया । अजय जानता था कि उसकी सफलता ही उसके परिवार कि मुक्ति का रास्ता है । उसने दिन रात मेहनत की , मन लगाकर पढ़ाई की और अपने लक्ष्य पर ध्यान दिया और वह हर छोटी - छोटी समस्याओं का समाधान खुद ही निकाल लेता था , घर वालों को हर छोटी बात नहीं बताता था ताकि घर वाले परेशान ना हो , वह घर की हालत जानता था ।माता - पिता के प्रति बहुत प्रेम भाव रखता था ।
उसे अपने माँ - पिता का हर सपना पूरा करना था , उसके परिवार ने उसके लिए और उसकी शिक्षा के लिए बहुत त्याग किया । माता पिता का तो बस एक ही सपना था ,मेरा बेटा पढ़ लिखकर हम सबका नाम रोशन करे । अजय भी माता पिता की इस तपस्या को भली भांति जानता था । उसके पिता ने जो घर पढ़ाई के लिए गिरवी रखा था ,अजय को पढ़ लिख कर खूब पैसा कमाकर अपने माता पिता के घर को आजाद कराना था ।
12 वीं कक्षा के बाद अजय ने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा दी , परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण कोचिंग की फीस भी नहीं भर सकता था । उसने अपने दोस्तों से पुरानी किताबें मांगकर पढ़ाई की और दोस्तों के सहयोग से इंटरनेट का सहारा लेकर पढ़ाई करी । वह जानता था उसके पास संसाधन कम थे । लेकिन उसकी मेहनत और लगन अपार थी ।
परिणाम का दिन था । अजय ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर देश के सबसे अच्छे कॉलेज में प्रवेश पा लिया । यह सुनते ही उसके घर में खुशी की लहर दौड़ गई ,लें उसकी यात्रा यही खतम नहीं हुई । कॉलेज के दौरान भी , जब सब छात्र आराम करते , तब अजय को जितना भी टाइम मिलता , उसमें वह काम करता । जिससे घर वालों से पैसे ना लेने पड़ें क्योंकि घर वालों की स्थिति वह जानता ही था ।
कॉलेज के आखिरी वर्ष में । उसको एक बड़ी कम्पनी से नौकरी का ऑफर मिला । उसके और उसके परिवार के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा था । कुछ वर्ष में अजय ने अपना घर आजाद कराया , जिसका जितना रुपया देना था सबका कर्ज चुकाकर । गरीब बच्चों के लिए एक निः शुल्क कोचिंग खुलवाई , जिससे उसके जैसे परिवार के बच्चों को तकलीफ का उठाना पड़े पढ़ने में । अजय और बच्चों के लिए आदर्श बन गया , सब बच्चे अपने माता पिता से कहते मुझे भी अजय भैया जैसा बनना है , गरीब बचहोन के लिए अजय एक मिसाल बन गया ।
निष्कर्ष -
अजय की कहानी यह साबित करती है कि चुनौतियाँ जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन अगर आपके पास साहस, मेहनत और विश्वास है, तो आप इन चुनौतियों को पार करके सफलता की नई राहें बना सकते हैं। कठिनाइयाँ चाहे जितनी भी बड़ी हों, लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ हर बाधा को पार किया जा सकता है। अजय ने यह सिखाया कि रास्ते की चुनौतियाँ हमें रोकने के लिए नहीं होतीं, बल्कि हमें नई राहें दिखाने के लिए होती हैं।
कन्हैया जी काशी -
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