एक गाँव था जो भवानीपुर के नाम से विख्यात था , उस गाँव मे सभी धर्म जाती के लोग निवास करते थे । उसी गाँव में गोपाल नाम का बहुत ही सुशील मेहनती लड़का रहता था । गोपाल के तीन और बड़े भाई थे , गोपाल सबसे छोटा था , हमेशा अपने बड़ों का आदर करता , उनकी आज्ञा में ही चलता था । तीन बड़े भाइयों का विवाह हो चुका था , गोपाल सबसे छोटा था , और अपने माता पिता का दुलारा था ।
जब गोपाल का विवाह हुआ तो अब भाइयों में बटबारे को लेकर चर्चा होने लगी , तीन भाई आपस में बात करके जमीन का जो उपजाऊ हिस्सा था बाँट लिए । और गोपाल को बंजर भूमि का हिस्सा दे दिया । माता पिता ने अपने बड़े बेटों को बहुत समझाया , जो जमीन का भाग तुमने गोपाल को दिया है उसमे तो अन्न का एक भी दाना नहीं उपजता , वो क्या खाएगा और उसका परिवार कैसे चलेगा । लेकिन बड़े भाइयों ने एक न सुनी ।
यह देखकर गोपाल ने मन में ठान लिया, अब में बहुत मेहनत करूंगा और बंजर भूमि को उपजाऊ बनाकर ही छोड़ूँगा । गोपाल खेतों में गया और मेहनत करने लगा ,गाँव के लोगों ने कहा गोपाल इस भूमि पर मेहनत करके कोई लाभ नहीं । तुम शहर जाओ वहीं जाके मेहनत करके अपना परिवार का भरण पोषण करो । इस बंजर भूमि से तो तुम्हें कुछ मिलने से रहा ।
परंतु , गोपाल गाँव छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहता था , अपने माता पिता के साथ रहकर ही अपने परिवार का भी भरण पोषण करना चाहता था , गोपाल ने बहुत मेहनत करी ,दिन रात एक कर दिया । मिट्टी की देखभाल करता, और हर पौधे को प्यार से सींचता।
महीने बीत गए, और गोपाल की मेहनत रंग लाने लगी। जहाँ पहले बंजर जमीन थी, वहाँ अब हरे-भरे पौधे उगने लगे। उसकी फसल धीरे-धीरे बढ़ने लगी। गाँव के लोग हैरान थे, जो जमीन कभी वीरान थी, वह अब लहलहाते खेतों में बदल चुकी थी।
गोपाल अपनी मेहनत की सफलता से बहुत प्रसन्न था ,वह खेतों में रहता फसल की देख भाल करता । समय बीता फसल पकने पे आई , जब फसल पक कर तैयार हुई, गोपाल ने अपनी फसल को बाजार में बेचा और अच्छी खासी कमाई की। उसने इस पैसे से अपने खेतों में और सुधार किए, और अगले साल फिर से मेहनत शुरू की। धीरे-धीरे, उसकी ज़मीन इतनी उपजाऊ हो गई कि उसने गाँव के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया।
गाँव के लोग अब गोपाल को सम्मान की नजरों से देखते थे। उसने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया था कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर आप मेहनत और समर्पण से काम करें, तो मिट्टी भी सोना बन सकती है।
निष्कर्ष -
गोपाल की कहानी सिर्फ उसकी नहीं है, बल्कि उन सभी लोगों की प्रेरणा है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष करते हैं। उसने यह दिखा दिया कि असंभव कुछ भी नहीं है,अगर आपके पास मेहनत करने का जज़्बा और लगन हो। मिट्टी से सोना बनाने की कला वही जानता है, जो कभी हार नहीं मानता।
कन्हैयाजी काशी -
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